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ऐ नारी तू एक अजूबा है

ऐ नारी तू एक अजूबा है
तुझसा नहीं कोई दूजा है।
तू सहती है क्यों इतने अपमान?
फिर भी करती है सबका मान।
इस अद्भुत दुनिया को अंदर
तू जी रही है घुट घुट कर ।
तू तो है इतनी सुंदर
कि एक समय कोई लेता है
पहली सांस तेरे अंदर।
ऐ नारी तू एक अजूबा है
तुझसा नहीं कोई दूजा है।
तू चिंता मत कर सब कुछ ठिक हो
जायेगा आगे, बस इंसान के
थोड़ी सी इंसानियत तो जागे ।
ऐ नारी तू एक अजूबा है
तुझसा नहीं कोई दूजा है।

NIKHIL SRIVASTAVA
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