[vc_message message_box_color=”pink” icon_fontawesome=”fa fa-quote-left”] लो हमने रख दी , इश्क़ की बुनियाद , खुद को कैद कर दिया आज़ाद मंजिले अलग थी पर थे तो मुशाफिर तुम मिल जाओ मुझ्हे ऐसे करते रहे फ़रियाद खुद को कैद कर दिया आज़ाद वो कभी न आयी हम राह तकते रहे उम्र भर सजा मिली थी बिना कोई जुर्म कर वो भूल गए हमे हम करते रहे उससे याद खुद को कैद कर दिया आज़ाद।।। “किताबो में रखा हुआ गुलाब हो गया ! वो इतना हसीं था की एक खवाब हो गया.. नज़रे उठाई अपनी उससे जिधर-जिधर पूरा समुन्दर है ” भंवर ” शराब हो गया “ “भंवर” अखिलेश तिवारी [/vc_message]